ख़फा-ख़फा है ज़िन्दगी,
धुआँ-धुआँ है ज़िन्दगी !!
है राह धुंधली-धुंधली सी,
बुझी-बुझी है ज़िन्दगी !!
है कौन सा शहर है ये,
है कौन सी ये बस्तियाँ !!
कोई रहता क्या नहीं यहाँ,
रूकी-रूकी है ज़िन्दगी !!
लोगों में पहले दिल भी था,
धड़कता भी था लोगों में !!
न जाने क्या हुआ है अब,
थमी-थमी है ज़िन्दगी !!
----वेदव्यास मिश्र
सर्वाधिकार अधीन है