सुनो हम वन्य जीवों की पुकार
प्राकृतिक आवासों की रक्षा कर
जंगल के वृक्षों को ना काटकर
हमारी अस्तित्व की रक्षा कर
रुखना तस्करी अवैध्य शिकार।
वनों में रहते हम वन्य प्राणी
एक बार सुनिए हमारी वाणी
होते हैं हमारे कई श्रेणी
कुछ तो हम रहते पर्वतश्रेणी
मत पहुंचाओ हमारी हानि।
वन्य प्राणी संरक्षण करना
मूक जीवों का महत्व जानना
लुप्त होते जानवरों को बचाना
हे!मानव हमारी विनती सुनना
पर्यावरण प्रदूषण को रोकना ।
यह कविता मेरी स्व रचना है।
जी. विजया मेरी,
अनंतपुर जिला,आंध्रप्रदेश ✍