हमें मिले संस्कारों पर गुरूर था हमें
पर उन्हें दूसरी पीढ़ी तक नहीं ले जा पाए
इस बात का दुख कम नहीं है हमें
क्या ??
सही में पीढ़ीगत दृष्टिकोण का अंतर है
या हमें यह फर्ज निभाना ही नहीं आया
ऐसा नहीं है कि
हमें अपने बच्चों पर गुरूर नहीं है
पर उनमें वो बात नहीं जो हम में आज भी है
या जो हमारे बड़ों में हुआ करती थी
शायद बीतता वक्त दृष्टिकोण के साथ साथ संस्कारों की नींव को भी कमजोर कर देता है ..
वन्दना सूद