हम तो इस लिए भी शहर में तेरे चर्चे नहीं करते।
फ़िर गौर से सुनते लोग हमें भी अच्छे नहीं लगते।
दिल बात करे तो लफ़्ज़ तुम्हारा चेहरा बन जाए,
तभी तो ग़ैरों के आगे तेरे जिक्र अच्छे नहीं लगते।
मरहम भी बने, ज़ख्म भी दे, इश्क़ का अन्दाज़ है,
पर सौदे में तो रिश्तों वाले हर्ज़ाने अच्छे नहीं लगते।
तुम ख्वाब हो, ख्वाबों को भी रिश्वत देनी पड़ती है,
जो हक़ से ना मिल पाए वो सच अच्छे नहीं लगते।
रुसवाई के डर से हम ने फिर चुप रहने को चुन लिया,
दीवारों के भी कान हों तो अफ़साने अच्छे नहीं लगते।
इस इश्क़ ने दुनिया से अलग कर दिया हम दोनों को,
फिर भीड़ में मिल मिलाने के यह ढंग अच्छे नहीं लगते।
अब तो मैं ख़ुद से भी तेरी ही तरह बातें करता रहता हूं,
कुछ राज़ हैं, जो खुल कर भी कहें, तो अच्छे नहीं लगते।
छगन की बर्बादी के हर्जाने अब मयखाने भी भुगत रहे हैं,
वहाँ की रौनक से राह चलते मुसाफिर इश्क़ नहीं करते।
#Chhagan Singh Jerthi
#छगन सिंह जेरठी


The Flower of Word by Vedvyas Mishra
The novel 'Nevla' (The Mongoose) by Vedvyas Mishra
The Flower of Word by Vedvyas Mishra







