नारी एक ज्वाला- एडवोकेट शिवानी जैन
ज़मीन छूकर आसमान की ओर उड़ान भरने को बेताब,
नारी शक्ति का ज्वाला, जगमगाता प्रताब।
अंधकार को चीरती किरण, बनकर दीप जलाती,
समाज की दीवारों को, अब धीरे-धीरे गिराती।
सपनों की उड़ान भरती, आसमान छूने को बेताब,
नारी शक्ति जाग उठी, अब है नयी ताकत का साबित।
ज्ञान की ज्योति जलाती, अज्ञानता को मिटाती,
समाज में बदलाव लाती, नई राहें दिखाती।
अब नहीं डरती, अब नहीं झुकती,
अपने अधिकारों के लिए लड़ती,
नारी शक्ति अनंत है, यह सत्य है,
समाज को नई दिशा देती है।

The Flower of Word by Vedvyas Mishra
The novel 'Nevla' (The Mongoose) by Vedvyas Mishra



The Flower of Word by Vedvyas Mishra




