बाहों में,अब,
पंख निकल आए हैं
सोचा उड़ता चलूं
आसमान के बादल
कहीं दूर छाए हैं
सोचा उड़ता चलूं
तिनका तिनका चुन चुन
आशियाने बना लिए
बरसा के कहर से
तूफानों के डर से
ग्रीष्म की तपन से
ठिकाने बचा लिए
विफलताओं से डर कैसा,
अब तो सफलताएं ही सफलताएं है
सोंचा उड़ता चलूं
मंजिल की तलाश नहीं
करना कोई खास नहीं
परिवेश भी उदास नहीं
मोतियों की आस नहीं
देता कोई त्रास नहीं
चिंता आसपास नहीं
अब मेरे आकाश में
निर्मल,स्वच्छ हवाएं हैं
सोंचा उड़ता चलूं
सर्वाधिकार अधीन है