इश्क़ की मुझको ..जबसे हवा लगी,
ना दवा ही लगा ..ना दुआ ही लगी !!
बेअसर अब हुई सारी सलाहियत,
ना इधर ही लगा..ना उधर ही लगी !!
राहे उल्फत से पहले थे हम और कुछ,
दिल लगाने से पहले थे हम और कुछ !!
बस अचानक से हमको ये क्या हो गया,
ना धमक ही लगा....ना भनक ही लगी !!
इक बीमारी है ये ..आशिक़ी-वाशिक़ी,
और इलाज इसका ..कुछ सूझता नहीं !!
आदमी अच्छा-खासा बदल ही जाता,
ना ही दिन लगा ....ना ही रात लगी !!
----वेदव्यास मिश्र
सर्वाधिकार अधीन है

The Flower of Word by Vedvyas Mishra
The novel 'Nevla' (The Mongoose) by Vedvyas Mishra



The Flower of Word by Vedvyas Mishra




