दुआ कुबूल ही नही हो रही।
यही सोच सोच कर रो रही।।
कहते हैं खुदा और राम एक।
जरूर कहीं साजिश हो रही।।
मोहब्बत रूठी जब से 'उपदेश'।
छोड़ने की सिफारिश हो रही।।
क्या क्या छोड़ दें जिन्दगी में।
हवा पानी से कशिश हो रही।।
- उपदेश कुमार शाक्यवार 'उपदेश'
गाजियाबाद