इधर उधर से
हरिया - सुना है आजकल शायरी करने के लिए वो लोग भी कलम घिस रहे हैं, जिन्हें न तो हिन्दी आती है और न ही उर्दू या अंग्रेजी।
दरिया - हां भाई साहब आपने सही फरमाया, अब मुझे ही देख लो, मुझे न तो हिन्दी का ज्ञान है और अंग्रेजी का, फिर भी शायरी करने में हमारा जबाब नहीं।
हरिया - आप अपने मुंह मिया मिट्ठू मत बनो, आपके बारे में सब कुछ जानता हूं। आप को लिखना तो दूर ठीक से पढ़ना भी नहीं आता।
दरिया - सबके सामने तो मेरी बेइज्जती मत करो यार। माना कि मैं दूसरों की लिखी हुई रचनाएं ही सुनाता हूं, लेकिन मेरी प्रस्तुति ऐसी होती है कि लोग वाह-वाह करते नहीं थकते और एक और, एक और चिल्लाते रहते हैं।
हरिया - हमने लिखन्तु डाॅट काॅम पर उन लोगों को भी शायरी करते देखा है जिन्हें दो लाईन से ज्यादा लिखना नहीं आता। और वही पुरस्कार से नवाजे जाते हैं।
दरिया - हां मैंने ऐसे गीत, गजल और कविताएं, गध लेख के साथ शेर ओ शायरी जिसमें शेर और मुक्तक शामिल हैं, पढ़े है।
हरिया - ये शेर और मुक्तक लिखने वाले तो ऐसा लगता है जैसे वे उंगली कटवा कर ही शहीद बनना चाहते हैं। उन बेचारों का क्या होगा जो गजल,गीत, नाटक और गध एवं लेख लिखने के लिए रात-दिन एक किए रहते हैं और उन्हें पुरस्कार तो दूर कोई लाईक और कमेंट करने की घास डालने के लिए जहमत तक नहीं उठाता।
दरिया - भाई इसें लिखने वालों का दोष नहीं है, पाठकों को भी तो पसंद आना चाहिए।
हरिया - पाठकों
ने तो हद ही कर रखी है, उन्हें तो वो इश्किया शेर ही पसंद आते हैं जो घटिया किस्म के होते हैं। उनमें पढ़ने की कुव्वत तो लेश मात्र भी नहीं है, लाईक और कमेंट करने की अक्ल तो जैसे रिन साबुन से धोकर खूंटी पर टांग कर सुखा आए हों।
दरिया - सही कहा आपने, ये पाठकगण ही खेल को बनाने और बिगाड़ने में अपनी भूमिका निभा रहे हैं, बेचारा लेखक तो इन्हीं की साजिश का शिकार हो रहे हैं।
हरिया - मैंने तो यहां तक सुना है कि आजकल पाठकगण सट्टा लगाने में भी पीछे नहीं रहते।
दरिया - ठीक कहा आपने ये किसी की रचना पढ़ तो लेते हैं लेकिन कभी कमेंट नहीं करते, न जाने इन्हें कैसे सद बुददी आएगी।
हरिया - अरे हम तो भूल ही गए कि हमें अपने श्रोताओं और पाठकों को कुछ सुनाना है।
दरिया - जरूर, लिजिए एक मुक्तक हाजिर है -
प्यार आंखों से जताया तो बुरा मान गए
हमने हाल ए दिल सुनाया तो बुरा मान गए
वो जो रोज रूलाया करते थे तुम हम को
आज जब हम ने रूलाया तो बुरा मान गए
शेष अगले भाग में ------
सर्वाधिकार अधीन है

The Flower of Word by Vedvyas Mishra
The novel 'Nevla' (The Mongoose) by Vedvyas Mishra



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