उड़ान ख़्वाबों की
ऐसे पंखों की तमन्ना है , जो आसमाँ छू सकें,
तेज़ हवाओं से मुक़ाबला कर सकें ,
जमीं की गहराइयाँ छू सकें ,
सूरज की तपिश में और भी निखर सकें,
बरसते नीर में भी अपने पंखों को लहरा सकें,
ऐसे पंख हों , जो कभी थकना न जानें ,
पर, ऐसे न हों ,जो पंख होने पर भी उड़ान भरना न जाने ।।
वन्दना सूद