कॉलेज में वफ़ादार यार का मिल जाना ठीक-ठीक वैसा ही है!
मरुस्थल में किसी प्यासे पथिक को पानी उपलब्ध हो जाने जैसा!
जमीं नापते-नापते दम घुटने लगता है जब उसका
आस इतनी हवा के झोंके की सरसराहट भी,
उसे प्यास बुझाने का ज़रिया जान पड़ती!
है ही कौन वहां सिवा उसके और उसकी उम्मीद के
जो समझ सके उसके चहरे पर प्यास की सिकन
शायद कोई नहीं......
किनारा तो मिल ही जाएगा कभी न कभी
कोई तो सरोवर आ ही जाएगा पास चल के,
मिटेगी प्यास राहगीर की आख़िरश!
मगर ये यात्रा राही के जीवन की
यादगर यात्राओं में से एक होगी !....
~अभिषेक_शुक्ल'

The Flower of Word by Vedvyas Mishra
The novel 'Nevla' (The Mongoose) by Vedvyas Mishra



The Flower of Word by Vedvyas Mishra




