उजालों के रही बनोगे
तो अंधेरे से ना डरना कभी .
राह में आए मुश्किलों से
तेरे सपने ना बिखरे कभी .
रखना विश्वास खुद पर
नया सवेरा आने को है.....
जीवन की हर डगर
अंधियारों भरी जब लगे
रखना हौसला हर पल
उपरवाला तेरे साथ है.
ना खोना कभी खुद को
इन अंधेरों के बाद ही
नया सवेरा आने को है.....
कांटों भरे रास्ते पर आगे बढ़ते जाना है
लहू-लुहान हो जाए तो भी चलते जाना है
मंज़िल पर नज़र विश्वास की डोर थामे
दिल में जुनूँ ' का वो दीया जलते जाना है
कि फिर एक नया सवेरा आने को है.
शबरी के बिछाए फूल भी काटों के छाले होते
जो हर नयी सुबह उसने गर हिम्मत हारी होती
एक सूरज डूबा तो क्या चांद भी तो दे गया
नयी रौशनी की ये धुन बजा लेना कानो में
अब नया सवेरा आने को है ....

The Flower of Word by Vedvyas Mishra
The novel 'Nevla' (The Mongoose) by Vedvyas Mishra



The Flower of Word by Vedvyas Mishra




