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The Flower of WordThe Flower of Word by Vedvyas Mishra

कविता की खुँटी

        

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Dastan-E-Shayra By Reena Kumari PrajapatDastan-E-Shayra By Reena Kumari Prajapat

कविता की खुँटी

                    

तुम आए थे, और मैं ख़ुद से बाहर हो गई

कोई-कोई आता है ज़िंदगी में
इतने ‘cool’ बनकर,
कि तुम्हें अपनी गर्म साँसें भी
बदतमीज़ लगने लगती हैं।

तुम आए थे —
जैसे कोई Netflix का ‘dark, mysterious, unavailable’ character,
जिससे सब लड़कियाँ प्रभावित होती हैं —
और कुछ…
पछताती भी।

तुम्हारे आने के बाद
मैंने lipstick लगाना कम किया,
और silence पहनना शुरू किया —
क्योंकि तुम्हें loud girls पसंद नहीं थीं,
सिर्फ़… manageable दुख।

मैं cool थी —
अपनी शर्तों पर हँसती, लड़ती, लिखती।
पर तुम्हारी ‘vibe’ में
मैंने अपनी आवाज़ म्यूट कर दी।

तुम्हारी कहानी में
मुझे ‘soft-spoken’, ‘understanding’,
और ‘low-maintenance’ बनना था —
ताकि तुम्हारा ego
कमज़ोरी समझ कर मुझे trophy बना सके।

अब जब तुम चले गए हो —
मैं फिर से loud हूँ,
थोड़ी obnoxious,
थोड़ी ज़्यादा ख़ुद के क़रीब।

अब लोग कहते हैं —
“तुम पहले जैसी नहीं रही।”
और मैं हँसकर कहती हूँ —
“थैंक गॉड।”

तुम्हारे बाद,
मैं cool तो नहीं रही —
मैं और भी नामाक़ूल हो गई।
लेकिन अब जो भी हूँ —
सच हूँ, आग हूँ, और
तुम्हारे जैसे किसी next ‘cool dude’ के लिए
unavailable हूँ।




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रचना के बारे में पाठकों की समीक्षाएं (1)

+

अशोक कुमार पचौरी 'आर्द्र' said

वाह! यह कविता एक बेहतरीन आत्म-मूल्य और आत्म-सम्मान की गवाही है। आपका अपना अनोखा लेखन का अंदाज इसे असाधारण बना देता है जैसे "तुम आए थे — जैसे कोई Netflix का ‘dark, mysterious, unavailable’ character, जिससे सब लड़कियाँ प्रभावित होती हैं —" and "तुम्हारे जैसे किसी next ‘cool dude’ के लिए unavailable हूँ" Bahut prabhaavi lekhan - सादर प्रणाम 🙏

Sharda Gupta replied

Thank you for you support and admiration

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