आई जवानी गई तैरते फंसाने गए।
खजाने लूट गए प्यार के माने गए।।
याद दीवार खंबे पर नाम लिखना।
वक्त गया वो सारे ठौर ठिकाने गए।।
पास रहकर बाते करने मे दीवानगी।
अब दूरियाँ बढ़ी पास के जमाने गए।।
चाह कायम उम्र का तकादा 'उपदेश'।
यादें बाकी रही वो मौसम सुहाने गए।।
- उपदेश कुमार शाक्यवार 'उपदेश'
गाजियाबाद