प्रभात की बेला में,
किसी ने दरवाजा खटखटाया।
भैंसे पर बैठकर,
सामने से यमदूत आया।
पूछा उन्होंने साहब घर पर है, क्या?
जो चूस रहे हैं ,खून गरीबों का।
आज हवेली से ले जाएंगे,
कल खोलते हुए तेल मे खोलाएगें।
एक एक पल का हिसाब होगा,
मिलाकर खून शराब में जिस गिलास में पिया,
वह गिलास भी होगा।
उन आत्माओं की यही पुकार,
अब न्याय होगा, आरपार।