खेती हमने की जमीन अच्छी मिली।
बिना बोये हुए फसल अच्छी मिली।।
कहीं प्रेम के कल्ले कहीं नाराजगी।
आस-पास मेरे बेहतर जमात मिली।।
किसी ने पानी दिया किसी ने खाद।
जमीं खोदते केंचुए सी सौगात मिली।।
किसी के बोल मीठे कहीं मकड़जाल।
सहयोग देने वालों की तादात मिली।।
मेड की मिट्टी भी 'उपदेश' देने लगी।
शातिर दिमाग से बेशक ताकत मिली।।
- उपदेश कुमार शाक्यावार 'उपदेश'
गाजियाबाद