Newहैशटैग ज़िन्दगी पुस्तक के बारे में updates यहाँ से जानें।

Newसभी पाठकों एवं रचनाकारों से विनम्र निवेदन है कि बागी बानी यूट्यूब चैनल को सब्सक्राइब करते हुए
उनके बेबाक एवं शानदार गानों को अवश्य सुनें - आपको पसंद आएं तो लाइक,शेयर एवं कमेंट करें Channel Link यहाँ है

Show your love with any amount — Keep Likhantu.com free, ad-free, and community-driven.

Show your love with any amount — Keep Likhantu.com free, ad-free, and community-driven.



The Flower of WordThe Flower of Word by Vedvyas Mishra The Flower of WordThe novel 'Nevla' (The Mongoose) by Vedvyas Mishra

कविता की खुँटी

        

Newहैशटैग ज़िन्दगी पुस्तक के बारे में updates यहाँ से जानें।

Newसभी पाठकों एवं रचनाकारों से विनम्र निवेदन है कि बागी बानी यूट्यूब चैनल को सब्सक्राइब करते हुए
उनके बेबाक एवं शानदार गानों को अवश्य सुनें - आपको पसंद आएं तो लाइक,शेयर एवं कमेंट करें Channel Link यहाँ है

The Flower of Word by Vedvyas MishraThe Flower of Word by Vedvyas Mishra
Dastan-E-Shayara By Reena Kumari Prajapat

Dastan-E-Shayara By Reena Kumari Prajapat

The novel 'Nevla' (The Mongoose), written by Vedvyas Mishra, presents a fierce character—Mangus Mama (Uncle Mongoose)—to highlight that the root cause of crime lies in the lack of willpower to properly uphold moral, judicial, and political systems...The novel 'Nevla' (The Mongoose) by Vedvyas Mishra

कविता की खुँटी

                    

शरीर लाचार हो..

शरीर लाचार हो और बुरी तरह जीर्ण-शीर्ण हो जाये,
तब जाकर मौत मुझसे झूठी दिलासा देकर मिलने आये !!
माफ करियेगा मगर मुझे ऐसी मौत बिलकुल भी नहीं चाहिए!

अपने पैरों पर चलकर पहुँचू आखिरी मंजिल तक,
अंतिम अध्याय तक साहित्य की पिपासा हो कंठ में !!
स्वर गूँजे और प्यासे हृदय की तारों को झंकृत कर दे,
मैं गीत अपना गा सकूँ..और अंत तक मुस्कुरा सकूँ !!
मुझे ज़िन्दगी की पिच पर बस ऐसी ही पारी चाहिए !!

हाथ हमेशा ही खुले रहे दानी कर्ण की मुद्रा में,
कलम हाथों की पोरों पर सिमटी रहे अंत तक !!
जुबान लड़खड़ाये मगर घबराये नहीं तनिक भी कभी,
सच कह सकूँ बिना किसी भय के निरंतर ऐ दोस्त,
झूठे और फरेबों से मुझे कोई ऐसा रिश्ता ही नहीं चाहिए !!

एक जोवंत कवि वेदव्यास मिश्र की कलम से !!


यह रचना, रचनाकार के
सर्वाधिकार अधीन है
 शरीर लाचार हो और बुरी तरह जीर्ण-शीर्ण हो जाये      तब जाकर मौत मुझसे झूठी दिलासा देकर मिलने आये !! माफ करियेगा मगर मुझे ऐसी मौत बिलकुल भी नहीं चाहिए! अपने पैरों पर चलकर पहुँचू आखिरी मंजिल तक      अंतिम अध्याय तक साहित्य की पिपासा हो कंठ में !! स्वर गूँजे और प्यासे हृदय की तारों को झंकृत कर दे      मैं गीत अपना गा सकूँ..और अंत तक मुस्कुरा सकूँ !! मुझे ज़िन्दगी की पिच पर बस ऐसी ही पारी चाहिए !! हाथ हमेशा ही खुले रहे दानी कर्ण की मुद्रा में      कलम हाथों की पोरों पर सिमटी रहे अंत तक !! जुबान लड़खड़ाये पर घबराये नहीं तनिक भी कभी      सच कह सकूँ बिना किसी भय के निरंतर ऐ दोस्त      झूठे और फरेबों से मुझे कोई रिश्ता ही नहीं चाहिए !! एक जोवंत कवि वेदव्यास मिश्र की कलम से !! 


समीक्षा छोड़ने के लिए कृपया पहले रजिस्टर या लॉगिन करें

रचना के बारे में पाठकों की समीक्षाएं (6)

+

अशोक कुमार पचौरी 'आर्द्र' said

एकदम अद्वितीय और आत्मा को छू लेने वाली रचना!
वेदव्यास मिश्र जी की कलम से निकले ये शब्द केवल कविता नहीं, बल्कि जीवन का घोषणापत्र हैं — दृढ़ इच्छाशक्ति, सत्य के प्रति निष्ठा, और साहित्य से अंतिम श्वास तक का प्रेम!

"मैं गीत अपना गा सकूँ.. और अंत तक मुस्कुरा सकूँ !!
मुझे ज़िन्दगी की पिच पर बस ऐसी ही पारी चाहिए !!"

— यह पंक्ति जीवन को जीने की सबसे सुंदर परिभाषा बन जाती है।
श्रद्धा, आत्मबल और साहित्य की साधना को इतनी गरिमा के साथ व्यक्त करना वास्तव में एक जोवंत कवि का ही कार्य हो सकता है।

सादर नमन उस कलम को, जो सच बोलने से डरती नहीं… और मुस्कुराते हुए मृत्यु से भी संवाद कर सकती है। 🙏🖋️✨
प्रणाम आदरणीय आचार्य जी

वेदव्यास मिश्र said

अशोक कुमार पचौरी 'आर्द्र' जी,
आपकी समीक्षा और आपकी थपकी पाकर मैं पुन: जीवंत हो चुका हूँ..रचनायें,भावनायें सब जीवंत हो चुकी हैं !!
सारा रचनात्मक माहौल ही जीवंत हो चुका है !!
अब पुन: रचनात्मक शक्तियाँ जागृत हो चुकी हैं !!
मेरी रचनाओं के लिए इतनी खूबसूरत व शानदार समीक्षा के लिए बहुत-बहुत आभार व स्नेहपूर्ण आशीर्वाद नमन सुप्रभात 💝💝

रीना कुमारी प्रजापत said

Is rachna par hum moun hai kya khe kuch samjh nhi aa rha... Bas ye kahenge bahut sundar hai

वेदव्यास मिश्र said

रीना कुमारी प्रजापत जी,
मैं समझ सकता है बेबसी आपकी..क्योंकि मेरी भी स्थिति अधिकतर यही हो जाती है कि आखिर समीक्षा में लिखें क्या !!
स्वागत आभार वेलकम 🙏🙏

सुभाष कुमार यादव said

बहुत सुंदर रचना मिश्र सर। एक-एक शब्द सच और आपके व्यक्तित्व का परिचय करती है। आपके साथ बैठ कर बात करने मात्र से ही ऊर्जा से भरा हुआ महसूस करता हूँ। आपका मार्गदर्शन आशीष स्वरूप है। अद्भुत रचना।👌👌🙏🙏

वेदव्यास मिश्र said

सुभाष कुमार यादव जी ,
ये मेरे लिए बहुत बड़ी खुशी की बात है कि हमारी मुलाकात होती है..हम मिलते हैं और साहित्यिक बातों के रसरंग से काफी देर तक प्रभावित रहते हैं !! सच कहूँ तो आनन्द आ जाता है आपसे बातें करके !!
निश्चित ही आपकी ये समीक्षा मेरे लिए अनमोल थाती है !!
आभार सर जी शुभाशीष नमन सहृदय 🙏💝💝🙏

कविताएं - शायरी - ग़ज़ल श्रेणी में अन्य रचनाऐं




लिखन्तु डॉट कॉम देगा आपको और आपकी रचनाओं को एक नया मुकाम - आप कविता, ग़ज़ल, शायरी, श्लोक, संस्कृत गीत, वास्तविक कहानियां, काल्पनिक कहानियां, कॉमिक्स, हाइकू कविता इत्यादि को हिंदी, संस्कृत, बांग्ला, उर्दू, इंग्लिश, सिंधी या अन्य किसी भाषा में भी likhantuofficial@gmail.com पर भेज सकते हैं।


लिखते रहिये, पढ़ते रहिये - लिखन्तु डॉट कॉम


© 2017 - 2025 लिखन्तु डॉट कॉम
Designed, Developed, Maintained & Powered By HTTPS://LETSWRITE.IN
Verified by:
Verified by Scam Adviser
   
Support Our Investors ABOUT US Feedback & Business रचना भेजें रजिस्टर लॉगिन