तुम्हारी उल्फ़ते मोहब्बत में हम पतंगों की तरह जल जाएंगे।
तुम्हारी दिल की बंजर जमीं में हम फूलों की तरह खिल जायेंगें।।1।।
मत दो इतनी चाहत,ऐ सनम यूँ इश्क में तुम हमकों।
गर हम दिल से टूटे तो जिंदगी में कांच की तरह बिखर जायेंगें।।2।।
इतनी खूलूश-ए-मोहब्बत में मेरे महबूब तेरी सर की कसम।
इक तेरी खातिर हम सारे जमाने से तन्हा ही लड़ जायेंगें।।3।।
मत डालना कभी तुम हमको आजमाइशों के दल दल में।
अंदेशों की बारिश में हम रेत के घरौंदों की तरह डह जाएंगे।।4।।
कबसे खड़े हैं हम तेरे दीदार को घर के सामनें गली में।
तू आजा अब छत पर हम देख कर चुपचाप चले जायेंगे।।5।।
खामोश हैं हम बड़े तेरे लगाए मुझपे हर इक इल्जाम पर।
अब इतनी भी हदे पार ना कर वर्ना हम गैरों की तरह बन जाएँगे।।6।।
अभी अभी तो हुआ हैं इश्क मेरे नादान दिल को तुमसे।
गर इतना हक जताओगे तो इक पल न तुमसे दूर रह पायेंगे।।7।।
कभी शक मत करना वतन परिस्ती पर ऐ मेरे दोस्तों।
देखने आना इक दिन तिरंगे में लिपट कर जब हम अपने घर आएगें।।8।।
जरा सोच समझ कर ही बोला कर तू यहां की आवाम में।
तेरे अल्फ़ाज हैं आग की तरह जानें कितने घर जल जाएंगें।।9।।
आ कहीं साथ में दूर चले पहाड़ों पर रात ठहरने के लिए।
सुबह आफताब की रोशनी में चांदी की बूदों की तरह झिलमिलायेंगे।।10।।
ताज मोहम्मद
लखनऊ

The Flower of Word by Vedvyas Mishra
The novel 'Nevla' (The Mongoose) by Vedvyas Mishra



The Flower of Word by Vedvyas Mishra




