आज भी मन में पीड़ा ठहरी हुई है।
उससे दिल लगाया वो शहरी हुई है।।
वे चित्र आँखों में बसे जाते ही नही।
अधूरा छोड़कर गई रूह पहरी हुई है।।
बुझ गया दीपक हकीकत चाँदनी में।
अंदर में प्यारी छवि और गहरी हुई है।।
याद आता साँझ को भूगोल उसका।
प्रभाव के इतिहास की गठरी हुई है।।
आज भी सपनों जड़ी जयमाला पहने।
नही मिलने जैसी रेल की पटरी हुई है।।
रुढियों की हथकड़ी 'उपदेश' है कड़ी।
मन के मौला की साँस भी ठहरी हुई है।।
- उपदेश कुमार शाक्यावार 'उपदेश'
गाजियाबाद

The Flower of Word by Vedvyas Mishra
The novel 'Nevla' (The Mongoose) by Vedvyas Mishra



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