तेरी कमी खल रही।
याद अन्दर उबल रही।
कुछ बहाना करके बात कर,
आग बिन जल रही।
गुजारा वक्त मुश्किल से,
अब मिलने को मचल रही।
गुजारिश करके थक गई,
शायद किस्मत बदल रही।
कल ख्वाब में 'उपदेश' आये,
बेशक उनकी दखल रही।
- उपदेश कुमार शाक्यावार 'उपदेश'
गाजियाबाद