क्यों करना यार याद किसी को
जब नहीं है तुम्हारी परवाह किसी को।
यादों में किसी के जीना क्या !
ज़हर बीरह का पीना क्या !
देख दुनियां कितनी बड़ी है।
शायद किसी को तेरी फिकर लगी है।
दिल में किसी की तेरी जीकर जगी है।
फिर क्यों तू यादों में उलझा है।
तू तो बड़ा हीं सुलझा है ।
तड़प ललक दरस अभी भी क्यूं है।
ये बेखुदी ये आवारापन ये बंजारापन
क्यूं है!
हिम्मत कर उठ देख लाखों लाख़
निगाहें तुझे ढूंढ रहीं हैं।
गर्दीशें बदनसीबी मुफलिसी अब सब तुझसे दूर चलीं हैं।
एक उज्जवल भविष्य देख तुझको तकता है।
तू फिर क्यों भी उदास बैठा है!
ज़ोर लगा इतिहास बना दे ।
काल के भाल पे लाल लगा दे।
सोई हुई क़िस्मत जगा ले।
फिर ये दुनियां तेरी है।
खुशियों की तिज़ोरी है।
तोड़ के ताला इन खुशियों की
तू भाग्य अपना चमकाता जा ।
जीवन पथ के राह में पड़े
सभी अवसादों को मिटाता जा।
जीवन की अंधेर गलियों में तू
फुलझडियां फैलता जा।
खुशियां वापस पाता जा।
खुशियों को लुटाता जा ।
तू जीवन को बनाता जा ।
तू खुशियों को लुटाता जा...
तू खुशियों को लुटाता जा...

The Flower of Word by Vedvyas Mishra
The novel 'Nevla' (The Mongoose) by Vedvyas Mishra



The Flower of Word by Vedvyas Mishra




