हुनर आ गया बाजार में रहने के लिए।
अन्दर की खुशी बहार में रहने के लिए।।
शायरी में गिरावट के लिए जिम्मेदार हूँ।
नुमाइंदगी करती बयार में रहने के लिए।।
बहरहाल जिक्र निकल ही पड़ा उसका।
रोशनी अपनी लिये सहर में रहने के लिए।।
शायरी नाम है नजाकत भरने का जनाब।
फुर्सत के वक्त एक विचार में रहने के लिए।।
मेरी लेखनी को खंगालने से पहले सोचना।
कैसी बेतकल्लुफी रही घर में रहने के लिए।।
इस खुराफात को अगर ना करता 'उपदेश'।
वक्त कैसे गुज़रता इंतजार में रहने के लिए।।
- उपदेश कुमार शाक्यावार 'उपदेश'
गाजियाबाद

The Flower of Word by Vedvyas Mishra
The novel 'Nevla' (The Mongoose) by Vedvyas Mishra



The Flower of Word by Vedvyas Mishra




