काली-काली बदली तले,
तुझे ढूॅंढा करूं।
मेघा के आंसुओं से,
अपने ज़ख़्म भरूं।
बारिशों की बूंदों का,
तह-ए-दिल से शुक्रिया करूं।,
धुंधली हुई नज़रों से,
तेरी राह तकूं।
बारिशों की खन-खन में,
पायलों की छन-छन सुनूं।
बिजली की चमक में,
तेरा अक्स देखूं।
मेघ की गर्जन में,
तेरी आवाज सुनूं।
पत्तों से लिपटी बूंदों में,
तुझे महसूस करूं।
✍️ रीना कुमारी प्रजापत✍️