वक्त गुजार रहे दूर रहकर पल-पल।
कभी साथ-साथ रहे थे प्रेमी युगल।।
ख्वाहिश को दबा कर चाय पीते वो।
साथ-साथ चुस्की याद करे पल-पल।।
बाहो में भर लेने का ख्वाब विखरा।
चाहत के जज़्बात मार रहे पल-पल।।
आँखो की एक झलक पाने को बेताब।
वीडियोकॉल करते 'उपदेश' पल-पल।।
- उपदेश कुमार शाक्यावार 'उपदेश'
गाजियाबाद