पास होकर, भी तुम
पास होकर भी तुम दूर, रहते हो
किन ख्यालों में गुम हुजूर रहते हो
तेरे, आने से मुझे, मिलती है खुशी
इस खुशी से तुम, क्यूं दूर रहते हो
मेरी मौजूदगी भी नहीं पसन्द तुझे
साथ मेरे, कहां तुम, हुजूर रहते हो
आ गए हो तुम तो बात भी कर लो
यूं खफा हो करके क्यूं दूर रहते हो
बात करनी नहीं तो, ना करो हम से
ये किस नशे में तुम, हुजूर रहते हो
दूर जाने, से पहले, ये बताते जाओ
किस बात से डर के, हुजूर रहते हो
जी, भर के, करो तुम, बात गैरों
से
इस दिल में मगर तुम हुजूर रहते हो
तेरे नसीब में है, यूं दूर रहना यादव
इसीलिए तो अपनों से दूर रहते हो
- लेखराम यादव
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