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The Flower of WordThe Flower of Word by Vedvyas Mishra

कविता की खुँटी

        

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Dastan-E-Shayra By Reena Kumari PrajapatDastan-E-Shayra By Reena Kumari Prajapat

कविता की खुँटी

                    

पास होकर भी तुम

पास होकर, भी तुम

पास होकर भी तुम दूर, रहते हो
किन ख्यालों में गुम हुजूर रहते हो
तेरे, आने से मुझे, मिलती है खुशी
इस खुशी से तुम, क्यूं दूर रहते हो

मेरी मौजूदगी भी नहीं पसन्द तुझे
साथ मेरे, कहां तुम, हुजूर रहते हो
आ गए हो तुम तो बात भी कर लो
यूं खफा हो करके क्यूं दूर रहते हो
बात करनी नहीं तो, ना करो हम से
ये किस नशे में तुम, हुजूर रहते हो
दूर जाने, से पहले, ये बताते जाओ
किस बात से डर के, हुजूर रहते हो
जी, भर के, करो तुम, बात गैरों
से
इस दिल में मगर तुम हुजूर रहते हो
तेरे नसीब में है, यूं दूर रहना यादव
इसीलिए तो अपनों से दूर रहते हो

- लेखराम यादव


यह रचना, रचनाकार के
सर्वाधिकार अधीन है


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रचना के बारे में पाठकों की समीक्षाएं (4)

+

रीना कुमारी प्रजापत said

बहुत सुंदर

Lekhram Yadav replied

महोदया बहुत-बहुत धन्यवाद।

अशोक कुमार पचौरी 'आर्द्र' said

bahut khoob shriman aapne bahut sundar likha, isi tarah kisi chote mote kavi ne kaha h 'पास होकर भी तुम पास नहीं तुमको हो अगर अहसास नहीं यह जीना भी कोई जीना है घुट घुट कर विष को पीना है ' kavi ka nam yaad nhin aarha h.😄😄 Suprabhaat shriman 🙏🙏

Lekhram Yadav replied

धन्यवाद पचौरी जी,बहुत बहुत शुक्रिया आपका।

Ankush Gupta said

बात करनी नहीं तो, ना करो हम से ये किस नशे में तुम, हुजूर रहते हो ye lines to chipkaunga kisi ko shukriya aapka

Lekhram Yadav replied

Thanks Gupta ji jarur chipkana magar khud ko bacha kar rakhna.8

वन्दना सूद said

Beautiful lines 👏👏

Lekhram Yadav replied

वन्दना जी स्वागत है आपका मेरे ख्वाबों की छोटी सी महफिल में, मेरा उत्साह बढ़ाने के लिए।

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