तैयारियाँ करते-करते मौसम बदल गया।
दरवाजा ना खटका इंतजार का पल गया।।
मोहब्बत बन्द कमरे में साँसे भरती रही।
उबासी आई गई अँधेरे का पल पल गया।।
मेरे मुसाफिर के पैरों में छाले हो गए होंगे।
एहतियातन जूते में कंकड सा सबल गया।।
मुझे कोई इल्म नही बदकिस्मती ही होगी।
रूह क्या करे मेहमान रूह का दखल गया।।
बेचैन रूह अपने इश्क के अस्तबल में रही।
खटका से 'उपदेश' दिल को पता चल गया।।
- उपदेश कुमार शाक्यावार 'उपदेश'
गाजियाबाद


The Flower of Word by Vedvyas Mishra
The novel 'Nevla' (The Mongoose) by Vedvyas Mishra
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