आदत नहीं किसीको बिगाडने या सजाने की
में खुद से टकराता हु खुदी को सजाता हूं
यहां ईश्वर या खुदा का कोई वास्ता नहीं हे
खुद को अंदर उतारता हु खुद ही पुकारता हूं
उड़ता नहीं आकाश को की छूकर चला आउ
धरती ही मेरी माता धरती को सवारता हूं
जिंदगी के सफर में हर सांस हमसफ़र हे
ना संगी ना साथी खुद ही चला जाता हूं
ना तर्क ना विज्ञान यह सीधासादा सत्य हे
में जीतता नहीं हूं तबतक में हारता हूं
के बी सोपारीवाला