भला कौन दूध का धोया हुआ है
बना भेड़ियों का हर शहर दोस्तों।
लूटा है किसने दिलों का उजाला
हमें मिल गई है सच खबर दोस्तों।
ये हाथों के पत्थर अपने गिरा दो
तुम्हारे भी शीशे के हैं घर दोस्तों।
मेहंदी भरे हाथ ही कातिल बनेंगे
कितना ये बदतर है गदर दोस्तो I
है दास अपना भी सीना तो पत्थर
तुम्हारा खंजर मांगे है कमर दोस्तों।