किसी के चाहने ना चाहने से कुछ नहीं होता।
होता वही जो तक़दीर में लिखा होता है।
लोग चाहें तो वक्त से लड़ भी जाएं
पर अपनों से लड़ाई में अक्सर हार हीं होती है।
क्यों उल्फत में हर कोई जी रहा है।
दर्द धोखा और फरेब सह रहा है।
है आदमी बहुत हीं नाज़ुक
कैसे इन नफरतों को सह पाएगा।
दर्द दिलों के सहते सहते मर जायेगा।
आओ मेरे प्यारों ओ रब के दीवानों
आपस में भिड़े नहीं मिलें
दुःख दर्द बांट लें।
मत भूल कि भारत का दुश्मन
इसी फ़िराक में है कि कब ..
सौहार्द बिगड़ जाए और खेला हो जाए।
तो बचकर चलना होगा।
कौमी एकता को समझना होगा।
एक झंडा एक एजेंडा पर काम
करना होगा।
मुकद्दस मुकद्दरों को गर्दिशों से
निकालना होगा।
ईबारत मेहनत की लिखनी होगी।
धर्मांधता से ऊपर उठ कर
स्वावलंबी बनाना होगा।
चाहें कुछ भी हो जाए
प्रयास करना होगा।
तकदीरों को बदलना होगा।
हर हाल में हर राह पर
सभी को मिलकर चलना होगा
सबको मिलकर चलना होगा....

The Flower of Word by Vedvyas Mishra
The novel 'Nevla' (The Mongoose) by Vedvyas Mishra



The Flower of Word by Vedvyas Mishra




