New रचनाकारों के अनुरोध पर डुप्लीकेट रचना को हटाने के लिए डैशबोर्ड में अनपब्लिश एवं पब्लिश बटन के साथ साथ रचना में त्रुटि सुधार करने के लिए रचना को एडिट करने का फीचर जोड़ा गया है|
पटल में सुधार सम्बंधित आपके विचार सादर आमंत्रित हैं, आपके विचार पटल को सहजता पूर्ण उपयोगिता में सार्थक होते हैं|

Show your love with any amount — Keep Likhantu.com free, ad-free, and community-driven.

Show your love with any amount — Keep Likhantu.com free, ad-free, and community-driven.



The Flower of WordThe Flower of Word by Vedvyas Mishra

कविता की खुँटी

        

New रचनाकारों के अनुरोध पर डुप्लीकेट रचना को हटाने के लिए डैशबोर्ड में अनपब्लिश एवं पब्लिश बटन के साथ साथ रचना में त्रुटि सुधार करने के लिए रचना को एडिट करने का फीचर जोड़ा गया है|
पटल में सुधार सम्बंधित आपके विचार सादर आमंत्रित हैं, आपके विचार पटल को सहजता पूर्ण उपयोगिता में सार्थक होते हैं|

The Flower of Word by Vedvyas MishraThe Flower of Word by Vedvyas Mishra
Show your love with any amount — Keep Likhantu.com free, ad-free, and community-driven.

Show your love with any amount — Keep Likhantu.com free, ad-free, and community-driven.

Dastan-E-Shayra By Reena Kumari PrajapatDastan-E-Shayra By Reena Kumari Prajapat

कविता की खुँटी

                    

ये इश्क़ नही आसान प्रिये।

नमस्कार दोस्तों।
सन् 1958 में श्री कांतनाथ पांडेय जी की एक रचना प्रकाशित हुई थी 'प्रेम संगीत' जिससे प्रेरित होकर सुप्रसिद्ध कवि सुनील जोगी जी ने एक कविता लिखी जिसका शीर्षक था 'मुश्किल है अपना मेल प्रिये' जिसे 2018 में आई अनुराग कश्यप की फिल्म 'मुक्केबाज़' मे फिल्माया गया है, इन्ही दो कविताओं से प्रेरित होकर मैंने ये रचना लिखने का प्रयास किया है, आशा करता हूँ आप को पसंद आएगी।

ये इश्क़ नही आसान प्रिये,
मुमकिन नहीं ये मिलान प्रिये,
तुम शाही दावत का न्यौता हो,
मैं लंगर का प्रसाद प्रिये,
तुम महँगे होटल का खाना हो,
मैं ढाबे की रोटी-दाल प्रिये,
तुम शहरी पिज़्ज़ा-बर्गर हो,
मैं माँ के हाथ का भात प्रिये,
ये इश्क़ नही आसान प्रिये,
मुमकिन नहीं ये मिलान प्रिये,
तुम आसमान को छूने वाली महँगी हवाई उडान प्रिये,
मैं बैलों से जुति सवारी गाड़ी की धीमी-धीमी चाल प्रिये,
तुम टीवी सीरियल में दिखने वाले अमीरों का अभिमान प्रिये,
मैं गरीब किसानों के खेतों में लहलहता धान प्रिये,
तुम ऊँचे महलों की रहने वाली,
मेरे सर पर न मचान प्रिये,
ये इश्क़ नही आसान प्रिये,
मुमकिन नहीं ये मिलान प्रिये,
तुम परियों की शहजादी हैं,
मैं जमीं पे रेंगता किड़ा हूँ,
तुम हद से ज्यादा सुंदर है,
मैं नाम से केवल सुंदर हूँ,
तुम मन को शीतल करने वाली प्यारी सी मुस्कान प्रिये,
मैं दिखता हूँ उस ऊपर वाले का किया कोई अहसान प्रिये,
ये इश्क़ नही आसान प्रिये,
मुमकिन नहीं ये मिलान प्रिये।

लेखक- रितेश गोयल 'बेसुध'




समीक्षा छोड़ने के लिए कृपया पहले रजिस्टर या लॉगिन करें

रचना के बारे में पाठकों की समीक्षाएं (3)

+

रीना कुमारी प्रजापत said

Kya baat hai bahut sundar hame apaki rachna bahut pasand aai...👏👏👏👌👌🙏🙏

Ritesh Goel replied

shukriya reena ji

Lekhram Yadav said

बहुत खूब, अब मुश्किल है गुणगान प्रिये , आपको सादर नमस्कार।

Ritesh Goel replied

dhanyavad yadav ji

वन्दना सूद said

उम्दा लेखन 👏👏👌👌😊एक दम मस्त

Ritesh Goel replied

shukriya vandana ji

कविताएं - शायरी - ग़ज़ल श्रेणी में अन्य रचनाऐं




लिखन्तु डॉट कॉम देगा आपको और आपकी रचनाओं को एक नया मुकाम - आप कविता, ग़ज़ल, शायरी, श्लोक, संस्कृत गीत, वास्तविक कहानियां, काल्पनिक कहानियां, कॉमिक्स, हाइकू कविता इत्यादि को हिंदी, संस्कृत, बांग्ला, उर्दू, इंग्लिश, सिंधी या अन्य किसी भाषा में भी likhantuofficial@gmail.com पर भेज सकते हैं।


लिखते रहिये, पढ़ते रहिये - लिखन्तु डॉट कॉम


© 2017 - 2025 लिखन्तु डॉट कॉम
Designed, Developed, Maintained & Powered By HTTPS://LETSWRITE.IN
Verified by:
Verified by Scam Adviser
   
Support Our Investors ABOUT US Feedback & Business रचना भेजें रजिस्टर लॉगिन