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The Flower of WordThe Flower of Word by Vedvyas Mishra The Flower of WordThe novel 'Nevla' (The Mongoose) by Vedvyas Mishra

कविता की खुँटी

        

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The Flower of Word by Vedvyas MishraThe Flower of Word by Vedvyas Mishra
Dastan-E-Shayara By Reena Kumari Prajapat

Dastan-E-Shayara By Reena Kumari Prajapat

The novel 'Nevla' (The Mongoose), written by Vedvyas Mishra, presents a fierce character—Mangus Mama (Uncle Mongoose)—to highlight that the root cause of crime lies in the lack of willpower to properly uphold moral, judicial, and political systems...The novel 'Nevla' (The Mongoose) by Vedvyas Mishra

कविता की खुँटी

                    

तेरी यादें

ज़िंदगी मेरी, तुम्हारी यादों से ही चलती है,
ज़िंदगी मेरी, तुम्हारी यादों से ही चलती है,
तभी तो अक्सर रातें भी मेरी,
तुम्हारी यादों में कटा करती हैं।

कल की रात के बारे में ही सुनों मुझसे,
यादों में तेरी कब सवेरा हुआ ये पता ना चला मुझे
ज़िंदगी मेरी, तुम्हारी यादों से ही चलती है,
तभी तो अक्सर रातें भी मेरी,
तुम्हारी यादों में कटा करती हैं......

रातें ये मेरी तन्हा होती थी पर ये तन्हा भी ना होती थी, रातें ये मेरी तन्हा होती थी पर ये तन्हा थी ना होती थी, तेरी यादें जो रातों में संग मेरे हुआ करती थी।

एक बेतहाशा सुकून मिलता था इन रातों में,
तू यादों में ही सही पर पास जो मेरे हुआ करती थी

रातें ये मेरी तन्हा होती थी पर तन्हा भी ना होती थी, तेरी यादें जो रातों में संग मेरे हुआ करती थी.......

दिन तो दिन पर रातों में भी यादों का सफर
कुछ यूं रहता है हरदम मेरे संग,
दिन तो दिन पर रातों में भी यादों का सफ़र,
कुछ यूं रहता है हरदम मेरे संग,
जैसे रहती है चाॅंद के संग चाॅंदनी हरदम।

यादों के मंज़र सुहा रहे हैं,
तन्हा जो रातें है मेरी,इसीलिए ये मुझे बहुत भा रहे हैं, दिन तो दिन पर रातों में भी यादों का सफ़र,
कुछ यूं रहता है हरदम मेरे संग,
जैसे रहती है चाॅंद के संग चाॅंदनी हरदम........

कुछ ना मिले ज़िंदगी में कोई ग़म नहीं,
कुछ ना मिले ज़िंदगी में कोई ग़म नहीं,
तेरी यादें मेरे संग होना किसी से कम नहीं।

यादों का ही तो ज़माना है,
फिर इनके बिना जीना भी क्या जीना है,
कुछ ना मिले ज़िंदगी में कोई ग़म नहीं
तेरी यादें मेरे संग होना किसी से कम नहीं.......

- रीना कुमारी प्रजापत




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रचना के बारे में पाठकों की समीक्षाएं (4)

+

अशोक कुमार पचौरी 'आर्द्र' said

Suprabhat Reena mam ek aur adbhut prastuti Bahut khoob... Main to likhna bhi bhul gaya ab bus padhne mein aanand aata hai...kosis karunga dobara se kuchh likhane ki 🙏🙏

रीना कुमारी प्रजापत replied

Thanku so much Bhai, waise hame intzaar hai apki nayi rachna ka kuch to likhiye

Kapil Kumar said

Bahut sundar sbdo ka chayan ..

रीना कुमारी प्रजापत replied

धन्यवाद!

अमित श्रीवास्तव said

Bahut khoob likha adhbhut bahut achha likhti hain aap

रीना कुमारी प्रजापत replied

बहुत बहुत शुक्रिया आपका, मेरी कविता पढ़ने और तारीफ़ के लिए 🙏

रमेश चंद्र said

अति सुंदर

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