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The Flower of WordThe Flower of Word by Vedvyas Mishra

कविता की खुँटी

        

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Dastan-E-Shayra By Reena Kumari PrajapatDastan-E-Shayra By Reena Kumari Prajapat

कविता की खुँटी

                    

दुनिया से जुदा हम हो गए

दुनियां से जुदा हम हो गए,
ख़ुद में ही अब हम खो गए।
कोई मतलब नहीं अब हमे सभी से,
ख़ुद से ही मतलब अब हम रखने लगे।

अब छोड़ दिया हमने वो दिल जहां हमारी
कद्र नहीं,
छोड़ दिया अब वो घर जहाॅं हमारा ज़िक्र नहीं।
कब तक ख़ुद के सपनों को मारते रहेंगे इनके लिए,
जिन्हें हमारी ख़्वाहिशों की कोई फ़िक्र नहीं।

अब हर इंसान की ज़िंदगी से रुख़्सत होने
लगे हैं हम,
तन्हाई में अब खोने लगे हैं हम।
हमारी ख़ुश -मिज़ाजी अपनों को ही रास नहीं
आती अब,
तो इनसे दूर कहीं बसर करने लगे हैं हम।

छोड़ दी है अब ये दुनियादारी,
छोड़ दी है हमने अब ये वफ़ादारी।
मेरा साथ भाया ना लोगों को,
तो ख़त्म कर दी है अब हमने इनके संग रिश्तेदारी।

💐 रीना कुमारी प्रजापत 💐




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रचना के बारे में पाठकों की समीक्षाएं (3)

+

Lekhram Yadav said

सुप्रभात सहित सादर प्रणाम मेरी प्यारी बहना, कविता बहुत अच्छी है।

रीना कुमारी प्रजापत replied

Shukriya 🙏 pranaam

वन्दना सूद said

अति सुन्दर 👌👌दिल को छूने वाली पंक्तियाँ

रीना कुमारी प्रजापत replied

Thanku so much

सुभाष कुमार यादव said

बहुत सुंदर रचना।👌👌🙏

रीना कुमारी प्रजापत replied

Shukriya janaab

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