दुनियां से जुदा हम हो गए,
ख़ुद में ही अब हम खो गए।
कोई मतलब नहीं अब हमे सभी से,
ख़ुद से ही मतलब अब हम रखने लगे।
अब छोड़ दिया हमने वो दिल जहां हमारी
कद्र नहीं,
छोड़ दिया अब वो घर जहाॅं हमारा ज़िक्र नहीं।
कब तक ख़ुद के सपनों को मारते रहेंगे इनके लिए,
जिन्हें हमारी ख़्वाहिशों की कोई फ़िक्र नहीं।
अब हर इंसान की ज़िंदगी से रुख़्सत होने
लगे हैं हम,
तन्हाई में अब खोने लगे हैं हम।
हमारी ख़ुश -मिज़ाजी अपनों को ही रास नहीं
आती अब,
तो इनसे दूर कहीं बसर करने लगे हैं हम।
छोड़ दी है अब ये दुनियादारी,
छोड़ दी है हमने अब ये वफ़ादारी।
मेरा साथ भाया ना लोगों को,
तो ख़त्म कर दी है अब हमने इनके संग रिश्तेदारी।
💐 रीना कुमारी प्रजापत 💐
सर्वाधिकार अधीन है

The Flower of Word by Vedvyas Mishra
The novel 'Nevla' (The Mongoose) by Vedvyas Mishra



The Flower of Word by Vedvyas Mishra




