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The Flower of WordThe Flower of Word by Vedvyas Mishra

कविता की खुँटी

        

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Dastan-E-Shayra By Reena Kumari PrajapatDastan-E-Shayra By Reena Kumari Prajapat

कविता की खुँटी

                    

आज मेरा कोई अपना कहीं खो गया

आज मेरा कोई अपना कहीं खो गया,
साथ मेरे आया था मेरी इस कामयाबी में शरीक
होने को।
पर कामयाबी में शरीक होने से पहले कहीं खो गया,
आज मेरा कोई अपना मुझसे जुदा हो गया।

चप्पा-चप्पा छान मारा मैंने इस अनजान शहर का
ढूंढने को उसे,
पर वो मेरा अपना, मुझे मिला ना।
मेरी कामयाबी में शरीक होने से पहले वो कहीं
खो गया ,
आज मेरा कोई अपना मुझसे जुदा हो गया।

अकेली थी सो चला आया था वो साथ मेरे,
पर मुझे फिर से तन्हा कर गया।
मेरी कामयाबी में शरीक होने से पहले वो कहीं
खो गया,
आज मेरा कोई अपना मुझसे जुदा हो गया।

सोचा था मैंने कि मेरी इस कामयाबी में हरपल
वो मेरे साथ रहेगा,
पर देखो मेरी बदनसीबी कि वो खो गया।
मेरी कामयाबी में शरीक होने से पहले वो कहीं
खो गया ,
आज मेरा कोई अपना मुझसे जुदा हो गया।

ऐ ख़ुदा जाऊंगी कैसे बग़ैर उसके मैं यहां से
लौटकर अपने शहर,
जो खो गया भले ही मेरा अपना था।
पर साथ ही वो किसी और की भी अमानत था,
मेरी कामयाबी में शरीक होने आया था पर
कामयाबी में शरीक होने से पहले कहीं खो गया,
आज मेरा कोई अपना मुझसे जुदा हो गया।
आज मेरा कोई अपना कहीं खो गया........✍✍

🖋️ रीना कुमारी प्रजापत 🖋️




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रचना के बारे में पाठकों की समीक्षाएं (3)

+

Lekhram Yadav said

सुप्रभात सहित नमस्कार मेरी प्यारी बहना, जिन्दगी में ऐसा ही होता है, कभी लोग मिलते हैं तो कभी खो या बिछुड़ जाते हैं। इस बात को अधिक गम्भीरतापूर्वक न लें, आपको सादर प्रणाम।

रीना कुमारी प्रजापत replied

जी पर हम ये कर ही नहीं पाते हैं जब कोई मिलकर बिछड़ता है तो बहुत तकलीफ़ होती है

Sanjay Srivastva said

"मेरा कोई अपना"... विरह और वेदना का सुंदर भाव

रीना कुमारी प्रजापत replied

धन्यवाद!

Sanjay Srivastva said

विरह और वेदना का उत्कृष्ट बयान..

रीना कुमारी प्रजापत replied

🙏🙏🙏

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