आज मेरा कोई अपना कहीं खो गया,
साथ मेरे आया था मेरी इस कामयाबी में शरीक
होने को।
पर कामयाबी में शरीक होने से पहले कहीं खो गया,
आज मेरा कोई अपना मुझसे जुदा हो गया।
चप्पा-चप्पा छान मारा मैंने इस अनजान शहर का
ढूंढने को उसे,
पर वो मेरा अपना, मुझे मिला ना।
मेरी कामयाबी में शरीक होने से पहले वो कहीं
खो गया ,
आज मेरा कोई अपना मुझसे जुदा हो गया।
अकेली थी सो चला आया था वो साथ मेरे,
पर मुझे फिर से तन्हा कर गया।
मेरी कामयाबी में शरीक होने से पहले वो कहीं
खो गया,
आज मेरा कोई अपना मुझसे जुदा हो गया।
सोचा था मैंने कि मेरी इस कामयाबी में हरपल
वो मेरे साथ रहेगा,
पर देखो मेरी बदनसीबी कि वो खो गया।
मेरी कामयाबी में शरीक होने से पहले वो कहीं
खो गया ,
आज मेरा कोई अपना मुझसे जुदा हो गया।
ऐ ख़ुदा जाऊंगी कैसे बग़ैर उसके मैं यहां से
लौटकर अपने शहर,
जो खो गया भले ही मेरा अपना था।
पर साथ ही वो किसी और की भी अमानत था,
मेरी कामयाबी में शरीक होने आया था पर
कामयाबी में शरीक होने से पहले कहीं खो गया,
आज मेरा कोई अपना मुझसे जुदा हो गया।
आज मेरा कोई अपना कहीं खो गया........✍✍
🖋️ रीना कुमारी प्रजापत 🖋️
सर्वाधिकार अधीन है

The Flower of Word by Vedvyas Mishra
The novel 'Nevla' (The Mongoose) by Vedvyas Mishra



The Flower of Word by Vedvyas Mishra




