वक्त का तकाज़ा होगा तेरा मुझसे मिलना।
आँखों ने कहा होगा मौका देखकर लिपटना।।
लफ्ज के निकलने से पहले आँखों की दुहाई।
लम्हा लम्हा वक्त बीता फिर हुआ बिछड़ना।।
खर्च करती रही खुद के वायदे खुद की कसमें।
निभाना खुद ब खुद आया वक्त पर सिसकना।।
चमक मेरी धुल गई चूडियों ने खनक छोड़ी।
पल पल जिस्म का टूटना चेहरा लाल होना।।
रिसने लगी यादें कुछ वक्त के साथ 'उपदेश'।
मीठा दर्द जागा रोके खिलखिला कर हँसना।।
किससे कहूँ अधूरा ही रहा मग़र इश्क पूरा।
तेरा नूर और था हिम्मत से कह रहा सँभालना।।
- उपदेश कुमार शाक्यावार 'उपदेश'
गाजियाबाद