उजड़े हुए को बसाना
बिछड़े हुए को मिलाना
कुछ दायित्व ये भी तो है
हमारा झगड़ते हुए को समझाना
लड़ते हुए को छुटाना कु
छ दाइत्व ये भी तो है हमारा
गिरते हुए को उठाना
बिगड़ते हुए को सुधारना
कुछ दायित्व ये भी तो है हमारा
रोते हुए को हसना
मरते हुए को बचाना
कुछ दायित्व ये भी तो है हमारा
कुछ दायित्व ये भी तो है हमारा
----नेत्र प्रसाद गौतम