तौहीने वफ़ा जब होगी तो दिल पुरजा पुरजा होगा ही
है इश्क यहां पे कातिल तो सब रुसवा रुसवा होगा ही
जब गुलशन में बहारें आएगी बुलबुल का तराना गूंजेगा
कांटों के बिना पर फूलों का तन किरचा किरचा होगा ही
कहने को सभी की दुनियां में क़ानून हिफाजत करता है
मुजरिम ही अगर मुंसिफ होगा सर उतरा उतरा होगा ही
यह दास हमें मालूम अंधेरा सारी रात बढेगा पल पल
एक दीप अगर जल जायेगा घर उजला उजला होगा ही
नादान अभी ये बच्चे ख़ुश होते हैं बस मोबाइल पाकर
बचपन जैसे जायेगा तन मन कुचला कुचला होगा ही