देश की नींव को खोखला करते,
रिश्वत लेकर मुट्ठी भरते।
कानून को ताक पर रखते,
गरीबों का खून पीते।
भ्रष्टाचारी हैं ये दानव,
समाज का कलंक हैं ये।
धन और पद के लालच में,
बेईमानी करते हैं ये।
गरीबों की आशाओं को तोड़ते,
विकास के रास्ते रोकते।
देश की तरक्की को रोकते,
अपने स्वार्थों को बढ़ाते।