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The Flower of WordThe Flower of Word by Vedvyas Mishra

कविता की खुँटी

        

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Dastan-E-Shayra By Reena Kumari PrajapatDastan-E-Shayra By Reena Kumari Prajapat

कविता की खुँटी

                    

साइकिल से साइकिल तक का सफ़र

साइकिल से साइकिल तक का सफ़र
साइकिल से टू वीलर पर आए
टू वीलर से कार तक आए
सहूलियतें बढ़ती चली गईं
सब शौक़ खत्म होते गए
और हम अपनी तरक्की पर यूँ ही नाज़ करते रहे..

क्या खो दिया हमने आज समझ आया
जब साइकिल चलाने का शौक फिर मन ने जगाया
जिम्मेदारियों से थोड़े से फुरसत के पल चुराए
निकल पड़े सुबह की गुलाबी ठण्ड का आनन्द लेने
और अब क्या कहें,हम तो यूँ ही अपनी तरक्की पर नाज़ करते रहे ..

ज़िन्दगी कितनी भी ऊँचाई पर ले जाए
जितनी भी सुविधाओं में बाँध दे
आनन्द तो बचपन के पलों में ही था
घर के आँगन में पड़ी गाड़ियों के बावज़ूद भी आज मज़ा तो साइकिल पर घूमने का ही आया
और हम बेवजह ही अपनी तरक्की पर यूँ ही नाज़ करते रहे ..
वन्दना सूद




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रचना के बारे में पाठकों की समीक्षाएं (8)

+

Lekhram Yadav said

बहुत खूबसूरत रचना के साथ खूबसूरत सफर, आपको सादर नमस्कार

वन्दना सूद replied

शुक्रिया sir 😊🙏🙏

Updesh Kumar Shakyawar said

बेवजह ही अपनी तरक्की पर यूँ ही नाज़ करते रहे .... Very True 👍

वन्दना सूद replied

शुक्रिया 🙏🙏

Tulsi patel said

जीवन की यथार्थता ...👏🏻

वन्दना सूद replied

जी सही कहा 🙏😊

अशोक कुमार पचौरी 'आर्द्र' said

Sach kaha jeewan m yahi Yatharth Hai...🙏🙏

वन्दना सूद replied

जी बिल्कुल 🙏😊

Manju Sharma said

Ati uttam

वन्दना सूद replied

🙏🙏

सुभाष कुमार यादव said

उत्कृष्ट रचना। 👌👌

वन्दना सूद replied

Shukriya sir

श्रेयसी said

बहुत खूबसूरत रचना 👌👌🙏🙏

वन्दना सूद replied

शुक्रिया 🙏😊

कमलकांत घिरी said

Bilkul sahi maim 👌 shandar rachna 👏🙌🙏 Prnam 🙏

वन्दना सूद replied

धन्यवाद कमल जी 🙏🙏

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