भ्रम था कि कोई खुदा है
दुनिया ने टूटने नहीं दिया
मिला था जीवन बीत गया
सत्य क्या था जाना ही नहीं
सीख लिया जो भी सिखाया
एक नाम दिया दुनिया ने
और मैंने खुद को मान लिया
कौन हूँ कभी जाना नहीं मैंने
नाम थे सब जो याद किये
किसके थे उसे नहीं जाना
बताने वालों की भीड़ में
सुनने वाला नहीं जाना
सब दिखाया दिखाने वालों ने
खेल किसका था नहीं दिखाया
लिखा सब लिखने वालों ने
पढाने वालों ने अपना पढ़ाया
राजा ने कहा, जो चाहा करवाया
तलवारें दी, हाथों से छीनीं कलमें
जिसका चाह उसका सर कटवाया
कलमों को अपनों के हाथ रखवाया

The Flower of Word by Vedvyas Mishra
The novel 'Nevla' (The Mongoose) by Vedvyas Mishra



The Flower of Word by Vedvyas Mishra




