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कविता की खुँटी

        

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Dastan-E-Shayra By Reena Kumari PrajapatDastan-E-Shayra By Reena Kumari Prajapat

कविता की खुँटी

                    

एक निमंत्रण पत्र- सम्पादक जी के नाम पार्ट-4

एक निमंत्रण पत्र- सम्पादक जी के नाम भाग - 4

महोदय
हम आपको यह भी बताना चाहेंगे कि हमने यह निमंत्रण पत्र सिर्फ आपको ही भेजने की कोताही क्यों की। इसका भी एक दिल चस्प कारण है। महोदय निकट भविष्य में अपने शहर में किसी सांसद, विधायक, पार्षद तथा आर.डब्ल्यू.ए. के प्रधान का चुनाव प्रस्तावित नहीं है। ऐसे में बहुत सोच-विचार करने के बाद हमारी नजरों में सिर्फ आप ही एक ऐसे कर्मठ महापुरुष देवदूत की तरह दिखाई दिए, जिन्हें हम इस अद्भुत नौका विहार कार्यक्रम के मुख्य अतिथि के रूप में निमंत्रित कर सकते थे। क्योंकि सांसद, विधायक, पार्षद और आर.डबलयु.ओ. के प्रधान अपना-अपना चुनाव जीत कर सत्ता की मनमोहनी कुर्सी से ऐसे लिपटे हुए हैं जैसे एक आतंक वादी जिहाद में मरने के बाद स्वर्ग में 72 हूरों के साथ आलिंगनबद्ध हो। ऐसे में उन्हें हम जैसे लाचार और निरीह प्राणियों की तकलीफों का ख्याल कैसे आ सकता है,भला आप ही सोचकर देखिए। ये लोग सिर्फ और सिर्फ विशुद्ध रूप से वोट लैने के लिए ही बने हैं, जनता जनार्दन की सुध लेने के लिए थोड़े ही हैं, फिर चुनाव में हुए खर्च की भरपाई करने और कुर्सी बचाने के लिए हजारों पापङ बेलने पड़ते है, सो अलग। वैसे भी उनकी चुनावी कुंभकर्णी नींद सिर्फ चुनाव आने पर ही खुलेगी, अब वो इस तुच्छ कार्य करने में रूचि लेंगे, ऐसा लगता नहीं है।

ऐसा नहीं है कि हमने इन सब से सम्पर्क नहीं किया, हमने इनसे मिलने की हर संभव कोशिश की और उन्हें उनका वायदा निभाने के संकल्प को भी दोहराया मगर उनके कान पर जूं रेंगने की बात तो छोड़िए, हवा तक नहीं लगी। हर बार ये लोग हमें रूखा सा जबाब देकर टरका देते कि पता करेंगे फिर बताएंगे अगली बार मिलने पर जबाब मिलता कि बजट आने पर काम होगा। और हम भी थके हारे परिन्दे की तरह अपने आशियाने पर उसी तरह से लौट आते जैसे हर बुददू शाम होने पर अपने घर वापस लौट आता है। हम जैसे निरीह प्राणी और कर भी क्या सकते थे। कई अधिकारियों से जब जब कार्यालय में मिलने का प्रयास किया तो वहां टका सा जबाब मिलता कि साहब अनिश्चितकालीन मिटिंग में हैं या साहब किसी दौरे पर हैं। लेकिन वे कौन से दौरे पर हैं ये आज तक पता नहीं चल पाया कि वो दौरा देश में किया गया है या विदेश में।
उपरोक्त हालात को मध्येनजर रखते हुए गहन चिंतन के बाद हम इस निर्णय पर पहुंचे कि ये सभी लोग हमारे काम के नहीं हैं और इन्हें बतौर मुख्य अतिथि के रूप में आमंत्रित करना किसी भी नजरिये से उचित नहीं है और ना ही ये हमारी कसौटी पर खरे उतर पाएंगे। यही सोच कर हमने विशुद्ध रूप से यह निर्णय लिया है कि सिर्फ आप ही इस कार्यक्रम के मुख्य अतिथि बनने के लिए एकमात्र पात्र व्यक्ति हैं।
अगले भाग में हम अपने सैक्टर के बारे में विशेष जानकारी देना चाहेंगे ताकि आप को हमारे सैक्टर की यात्रा को अविस्मरणीय बना सकें। धन्यवाद।
----- शेष अगले भाग में -----


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सर्वाधिकार अधीन है


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रचना के बारे में पाठकों की समीक्षाएं (4)

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लिखन्तु - ऑफिसियल said

That's a very good point you pickup dear sir in your letter that's all true as you said we agree with you, your writing style is very curious and it made this letter a very interesting including vyang,laughter and seriousness that's a great work as a creator as well as a citizen. We are waiting for the next letter 👍

Lekhram Yadav replied

सुप्रभात लिखन्तु आफिसियल। आपकी बहुमूल्य सकारत्मक प्रतिक्रिया से मैं अभिभूत हूं, आपका बहुत-बहुत आभार प्रकट करता हूं। धन्यवाद।

अशोक कुमार पचौरी 'आर्द्र' said

Waah Yadav sir, aapko Patra lekhan m 10/10 milte honge exams m yeh to m shat pratishat kah sakta hun aur aapki rachnayein to 100/10 wali hoti hi hain.

Lekhram Yadav replied

सर नमस्कार। सर वो वक्त कुछ और था और आज का वक्त कुछ और है। उस जाने में इतनी सुविधा और सम्प्रेषण कला कहां थी, बस परीक्षा पास हो गई यही काफी था। जितनी तारीफ आपने की है वो कुछ ज्यादा ही है,फिर भी मैं आपका शुक्रगुजार हं कि आपने इतना मान दिया। बहुत बहुत धन्यवाद सर।

अशोक कुमार पचौरी 'आर्द्र' said

Bahut hi pyara Patra likha Gabbar khus hoga Shabashi dega

Lekhram Yadav replied

सर प्रणाम। मैं आपकी ही शाबाशी का कायल हूं। गब्बर और हरिया तो बेचारे दोनों रीना मैम की कैद में छटपटा रहे हैं। आपका हार्दिक आभार व्यक्त करता हूं।

रीना कुमारी प्रजापत said

Gabbar to hamare paas hai use thodi pata hai inke ptra ke baare mein.... Very nice letter writing👌

Lekhram Yadav replied

जी हां मेरी प्यारी बहना सही कह रही हो।धन्यवाद।

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