एक निमंत्रण पत्र- सम्पादक जी के नाम भाग - 4
महोदय
हम आपको यह भी बताना चाहेंगे कि हमने यह निमंत्रण पत्र सिर्फ आपको ही भेजने की कोताही क्यों की। इसका भी एक दिल चस्प कारण है। महोदय निकट भविष्य में अपने शहर में किसी सांसद, विधायक, पार्षद तथा आर.डब्ल्यू.ए. के प्रधान का चुनाव प्रस्तावित नहीं है। ऐसे में बहुत सोच-विचार करने के बाद हमारी नजरों में सिर्फ आप ही एक ऐसे कर्मठ महापुरुष देवदूत की तरह दिखाई दिए, जिन्हें हम इस अद्भुत नौका विहार कार्यक्रम के मुख्य अतिथि के रूप में निमंत्रित कर सकते थे। क्योंकि सांसद, विधायक, पार्षद और आर.डबलयु.ओ. के प्रधान अपना-अपना चुनाव जीत कर सत्ता की मनमोहनी कुर्सी से ऐसे लिपटे हुए हैं जैसे एक आतंक वादी जिहाद में मरने के बाद स्वर्ग में 72 हूरों के साथ आलिंगनबद्ध हो। ऐसे में उन्हें हम जैसे लाचार और निरीह प्राणियों की तकलीफों का ख्याल कैसे आ सकता है,भला आप ही सोचकर देखिए। ये लोग सिर्फ और सिर्फ विशुद्ध रूप से वोट लैने के लिए ही बने हैं, जनता जनार्दन की सुध लेने के लिए थोड़े ही हैं, फिर चुनाव में हुए खर्च की भरपाई करने और कुर्सी बचाने के लिए हजारों पापङ बेलने पड़ते है, सो अलग। वैसे भी उनकी चुनावी कुंभकर्णी नींद सिर्फ चुनाव आने पर ही खुलेगी, अब वो इस तुच्छ कार्य करने में रूचि लेंगे, ऐसा लगता नहीं है।
ऐसा नहीं है कि हमने इन सब से सम्पर्क नहीं किया, हमने इनसे मिलने की हर संभव कोशिश की और उन्हें उनका वायदा निभाने के संकल्प को भी दोहराया मगर उनके कान पर जूं रेंगने की बात तो छोड़िए, हवा तक नहीं लगी। हर बार ये लोग हमें रूखा सा जबाब देकर टरका देते कि पता करेंगे फिर बताएंगे अगली बार मिलने पर जबाब मिलता कि बजट आने पर काम होगा। और हम भी थके हारे परिन्दे की तरह अपने आशियाने पर उसी तरह से लौट आते जैसे हर बुददू शाम होने पर अपने घर वापस लौट आता है। हम जैसे निरीह प्राणी और कर भी क्या सकते थे। कई अधिकारियों से जब जब कार्यालय में मिलने का प्रयास किया तो वहां टका सा जबाब मिलता कि साहब अनिश्चितकालीन मिटिंग में हैं या साहब किसी दौरे पर हैं। लेकिन वे कौन से दौरे पर हैं ये आज तक पता नहीं चल पाया कि वो दौरा देश में किया गया है या विदेश में।
उपरोक्त हालात को मध्येनजर रखते हुए गहन चिंतन के बाद हम इस निर्णय पर पहुंचे कि ये सभी लोग हमारे काम के नहीं हैं और इन्हें बतौर मुख्य अतिथि के रूप में आमंत्रित करना किसी भी नजरिये से उचित नहीं है और ना ही ये हमारी कसौटी पर खरे उतर पाएंगे। यही सोच कर हमने विशुद्ध रूप से यह निर्णय लिया है कि सिर्फ आप ही इस कार्यक्रम के मुख्य अतिथि बनने के लिए एकमात्र पात्र व्यक्ति हैं।
अगले भाग में हम अपने सैक्टर के बारे में विशेष जानकारी देना चाहेंगे ताकि आप को हमारे सैक्टर की यात्रा को अविस्मरणीय बना सकें। धन्यवाद।
----- शेष अगले भाग में -----
सर्वाधिकार अधीन है

The Flower of Word by Vedvyas Mishra
The novel 'Nevla' (The Mongoose) by Vedvyas Mishra



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