लपक कर आई छीनने को हक अपना।
दृश्य देखकर भयभीत दरक गया सपना।।
आग किसी और ने लगाई जला कोई और।
किसी और को पड़ा जिन्दगी भर सहना।।
बहस के दौर में जब एक न चली उसकी।
तन्हा होकर काटना पड़ा महीना दर महीना।।
रिश्ता अजीब ज़ज्बात भी नमूने भर रहे।
उसके बाद छलनी हो गया उसका सीना।।
कुरेदने वाले का ज़ख्म कभी भरता कहाँ।
बेवजह 'उपदेश' छोड़ दिया बात करना।।
- उपदेश कुमार शाक्यावार 'उपदेश'
गाजियाबाद

The Flower of Word by Vedvyas Mishra
The novel 'Nevla' (The Mongoose) by Vedvyas Mishra



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