रोज नए रंग ये बदलती रहेगी
दुनिया है दुनिया चलती रहेगीI
तोड़ दो चाहे किनारे लाख तुम
ये नदी है रात दिन बहती रहेगीI
मसले हुए फूल भी खुशबू ही देंगे
नोंक कांटे की सदा चुभती रहेगीI
दास गहरा मौन ज्यादा बोलता है
जोर की आवाज तो घटती रहेगी।
दवा और दुआ भी नाकाम रहते हैं
उम्र खुद दिन ब दिन ढलती रहेगीI

The Flower of Word by Vedvyas Mishra
The novel 'Nevla' (The Mongoose) by Vedvyas Mishra



The Flower of Word by Vedvyas Mishra




