अपमान सह कर अलग होने की सोचना।
ख्याल आता जाता रिश्ते को कैसे तोड़ना।।
रिश्ते का दामन थामे रहने की मजबूरी मेरी।
अधूरी आजादी पाई रिश्ते को कैसे छोड़ना।।
नौकरी की तलाश में प्रतियोगिता चल रही।
सफलता पाने के लिए पढ़ाई कैसे छोड़ना।।
बचपन की दुनिया अलग जवानी चढ रही।
मन भटक रहा 'उपदेश' रस्मे कैसे छोड़ना।।
स्त्री का दिल होता बहुत बड़ा ममता से भरा।
ससुराल में रहकर मायके को कैसे छोड़ना।।
- उपदेश कुमार शाक्यावार 'उपदेश'
गाजियाबाद