हँसना भी है और रोना भी
समय भी बदलता है और दिन भी
तो ज़िन्दगी एक सी कैसे हो सकती है ?
माना कि जो छूट रहा है ,
वो अजीज़ था
तो जो साथ रह गया ,
वो भी तो ख़ास है
जब किस्मत से ही पाना और खोना है
तो खुश होकर ही उसे क्यों नहीं जीना है
हर चुनौती को नज़र मिला कर ही क्यों नहीं हराना है ???
वन्दना सूद