वृंदावन की रानी,
तुलसी माता प्यारी।
मन मोह लेतीं,
अपनी मीठी बारी।
हरि की प्रिया,
जग की माता।
तुम पर ही है,
मेरा पूरा भरोसा।
तुलसी के पौधे को,
लगाया मैंने घर में।
हर रोज करता हूँ,
तुम्हारी सेवा मन में।
पानी से सींचता हूँ,
धूप से बचाता हूँ।
तुम्हारे दर्शन से,
मन शांत होता है।