सूरज और चाँद से बात
मैं सूरज और चाँद से बात करना चाहता हूँ
लड़ते क्यों लोग उन्हें लेकर पूछना चाहता हूँ।
आसमाँ तो सबका है फिर वो बँटा क्यों है
उनकी रोशनी को थोड़ा खँगालना चाहता हूँ।
निभाते हैं फर्ज रोज उगते हुए यहाँ दोनों
मैं अपने हिस्से का उजाला बाँटना चाहता हूँ।
इंसान ही क्यों नहीं समझता इस बात को
मैं उसको आईना जरा सा दिखाना चाहता हूँ।
ये तो दो आँखें हैं आसमाँ की 'धन्यकुमार'
इनकी हिफाजत आज मैं करना चाहता हूँ।
धन्यकुमार जिनपाल बिराजदार, सोलापुर
9423330737


The Flower of Word by Vedvyas Mishra
The novel 'Nevla' (The Mongoose) by Vedvyas Mishra
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