वर्षों पहले की बात है,
अपनो और बहुतों की उम्मीद लिए,
हम भी निकल पड़े दिल्ली की और,
उम्मीदों और सपनों को साकार करने के लिए,
नई दिल्ली रेलवे स्टेशन को निहारता रहा,
जो कभी दिल्ली बहुत दूर नजर आती थी,
अब दिल्ली के ज़मीं पे खड़ा था,
एक छोटे से गांव से निकलकर दिल्ली जाना,
सपनों को साकार करना चुनौती का विषय था,
चुनौती को स्वीकार करते हुए मंज़िल तलाशते रहें,
मंज़िल तो नही लेकिन ठहराव जरूर मिली,
लेकिन ज़िंदगी की गाड़ी पटरी पर चल पड़ी थी,
क्या खोया क्या पाया जब गौर किया तो,
आंखें भर आई...
#संजय श्रीवास्तव

The Flower of Word by Vedvyas Mishra
The novel 'Nevla' (The Mongoose) by Vedvyas Mishra



The Flower of Word by Vedvyas Mishra




