🌙 पलकों में पलते स्वप्न
डूबती हैं नजरे नजरों में
कुछ सपने अपने होते है
कुछ खुली आंख में दिखते है
कुछ नींद में खुशियां देते है
प्यारी गोदी वो होती है
जिसमें से घटाएं दिखती है
कुछ खो जाते है जुल्फों में
कुछ एकदम सच्चे होते है
खोए खोए जो होते हैं
होता सच का क्या भान नहीं
क्या बहती गंगा ऐसे ही ,
मन बह जाता या भाव सही
उनकी आंखों की पलकों में
क्या सच में कोई घर होगा?
जहाँ हर ख्वाब पला होगा
जहाँ मौन भी गीत बना होगा।
जहाँ चुप्पी भी बोली होगी ,
जहाँ आँखों ने रूप रचा होगा ,
जहाँ हर झपकी के भीतर ही
एक भीनी गंध घुली होगी।
उनकी नज़रों के काजल में
कुछ किरणे भी बिखरी होगी
फिर सावन का मौसम पाकर
सहमे स्वर में बोली होगी ,
कितना सुंदर वो घर होगा
जिसमें ये बाग सजा होगा
आंखे कितनी प्यारी होगी
जिसमें ये ख्वाब पला होगा ......
तेजप्रकाश पाण्डेय गोलू

The Flower of Word by Vedvyas Mishra
The novel 'Nevla' (The Mongoose) by Vedvyas Mishra



The Flower of Word by Vedvyas Mishra




