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The Flower of WordThe Flower of Word by Vedvyas Mishra

कविता की खुँटी

        

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Dastan-E-Shayra By Reena Kumari PrajapatDastan-E-Shayra By Reena Kumari Prajapat

कविता की खुँटी

                    

सहना तो मुझे पड़ता है

जब ये मरज़ मेरी ज़िंदगी में आया
तो दिन - रात उदासी छाई रहती थी,
अकेली बंद कमरे में रात भर रोया करती थी।
और रोती भी क्यों ना?
सत्रह बरस की उम्र में ही अचानक से
एक ऐसा रोग लग गया था
जिसे मैं किसी को बता भी नहीं सकती थी।

कुछ वक्त बाद इस हाल में पहुंची
कि बताऊं किसी को अपनी परेशानी
तो दो लफ़्ज़ सहानुभूति में सुन
कुछ सुकून मिलेगा,
पर बताया जिसे भी अपना मरज़
उसे ये मरज़ बड़ा मामूली लगा है।
पर तकलीफ़ मेरी है ना,
सहना तो मुझे पड़ा है।

आजकल सत्रह बरस की लड़कियां बड़ी
तेज़ तर्रार होती है,
पर मैं तो बिल्कुल बच्ची ही थी।
अब बड़ी हो गई हूं तो अब थोड़ी
समझदारी आई है,
इसलिए अब बस सहती रहती हूं
किसी से कहती नहीं हूं।

अब उदास भी नहीं होती हूं
और रोती भी नहीं हूं,
क्योंकि अब मैं समझ गई कि
ये मेरे जीवन का एक हिस्सा है।
पर तब बहुत चाहते हुए भी नहीं
रोक पाती हूं मैं इन आंसुओं को,
जब ये मरज़ मेरी तरक्की में बाधा बनता है।

🖊️ रीना कुमारी प्रजापत 🖊️




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रचना के बारे में पाठकों की समीक्षाएं (4)

+

Lekhram Yadav said

आपकी कविता बहुत ही दर्द भरे एक हजारों से लबरेज है, मगर हम चाह कर भी आपकी मदद नहीं कर सकते। आपको सुप्रभात सहित नमस्कार ।

रीना कुमारी प्रजापत replied

Ji bahut bahut shukriya apka 🙏😊😊🙏

श्रेयसी said

अत्यंत मार्मिक 🙏🙏

रीना कुमारी प्रजापत replied

Aabhar aapka 🙏😊

वन्दना सूद said

दर्द की परिभाषा सबके लिए अलग है कोई किसी के दर्द को कम नहीं कर सकता ।आप जब इतनी मार्मिक रचना लिखती हैं तो लगता है कि काश हम आपके पास होते और बोलते अपनी तरक्की के आगे ख़ुद को भी नहीं आने दो

रीना कुमारी प्रजापत replied

Ji dil se bahut bahut shukriya apka 🙏😊

मनोज कुमार सोनवानी "समदिल" said

जिंदगी में प्रीत के रंग निराले हैं, रंग में डूबकर जीने का मजा कुछ और है, बाधाओं को ही तरक्की का मार्ग बना लीजिए।.….. खूबसूरत लिखा है आपने।

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