बदल गई है दुनियां सारी
बदल रहे है लोग
नहीं बदल पाए तो
बस अवध के लोग
जिनके लिए प्रभु ने कष्ट सहे
और माता ने वियोग
त्रेता से कलयुग तक
नही बदल पाए तो
बस अवध के लोग
कैसा ये यह संयोग
मंथरा आज भी जिंदा है
और जीवित है माता पर
लांछन लगाने वाले
कुटिल ह्रदय वो लोग
बरस बदले सदियां बदली
युग भी अब बदल गया
नही बदल पाए तो
बस अवध के लोग
प्रभु से उनका प्रेम छीना
लवकुश से मां का स्नेह
अग्नि परीक्षा कराते कराते
क्यों थकते नहीं अवध के लोग
बदल गई है दुनियां सारी
बदल रहे है लोग
नही बदल पाए तो
बस अवध के लोग
अर्पिता पांडेय